पाठ्यक्रम और शैक्षणिक नवाचार
Chetan Patel
१. प्रत्येक जिला तालीम भवन (डाइट) में इनोवेशन कॉर्नर होना चाहिए। जिसमें जिले के उत्कृष्ट प्रयोगधर्मी किसान का छोटा सा प्रदर्शन हो जहां सभी टीचर उनकी इनोवेटीव प्रयोग का अपना कलास रूम में उपयोग कर पाए।
२. शिक्षा विभाग अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन करते है। उसमें में इनोवेटिव टीचर को ट्रेनिंग देने का मौका मिलना चाहिए।
३. टीचर इनोवेशन की इन्नोवेटीव प्रेक्टिस को B.ED और PTC के अभ्यासक्रम में शामिल करना चाहिए। जिसे जो भविष्य में नये टीचर बनने वाले है वो अपने क्लास रूम में इनोवेटीव पद्धति का प्रयोग कर पाए।
४. टीचर इनोवेशन के प्रचार और प्रसार के लिए जो माध्यम हे उसको सक्रिय बनाने के लिए राज्य स्तर और जिला स्तर पर कोऑर्डिनेटर को नियुक्ति होनी चाहिए। जिससे इस तरह की गतिविधियों में उत्तेजना मिले।
५. हरेक जिले में इनोवेशन फंड होना चाहिए जो टीचर को कुछ नया प्रयोग करना है या TLM (टीचर लर्निंग मटेरियल) बनाना है तो उनको सहयोग मिल सकता है। कुछ अच्छे प्रयोग या TLM है उनको आसपास की स्कूल में फैलाना है तो इस फंड का उपयोग कर सकते है।
६. जिसका इनोवेशन पसंद हुआ है और उत्कृष्ट टीचर जिन्होंने छात्रों और स्कूल के लिए अच्छा कार्य किया है उनका टीचर की सर्विस बुक में नोट करनी चाहिए जिससे टीचर को नवतर प्रयोग करने की प्रेरणा मिलेगी
७. भारत में इनोवेशन करने वाले बच्चे, ग्रामीण आविष्कारक, वैज्ञानिक, युवा और टीचर के बारे में अभ्यासक्रम में शामिल होना चाहिए जिससे हमारी युवा पीढ़ी को इनोवेशन करने की प्रेरणा मिले। हमारे CBSE के अभ्यासक्रम में कुछ स्टोरी शामिल हुए है लेकिन ज्यादा स्टोरी को शामिल करना चाहिए।
८. इनोवेशन वान और घूमने वाली प्रयोगशाला होनी चाहिए जो अंतराल विस्तार में जाकर इनोवेशन और साइंस के प्रयोग के बारे मे टीचर और छात्रों को परिचित कर सके।
९. गणित और विज्ञान की किट बना कर वहां पर टीचर कम है वहां देनी चाहिए। जिससे जो तेजस्वी छात्रों के साथ मिलकर बच्चे प्रयोग कर सके।
१०. प्रतिभावंत बच्चो को विशेष तोर पर तालीम देकर उन्हें सहपाठी प्रक्रिया के लिए शामिल करना चाहिए जिसे पियर लर्निंग अच्छा होगा और बच्चों के अंदर संवेदनशीलता और नेतृत्व के गुण का विकास होगा।
११. जिन बच्चों में विशेष कौशल (स्किल) है उन कौशल का विकास के लिए विशिष्ट ट्रेनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे उस क्षेत्र में बच्चे अच्छा प्रदर्शन कर सकते है और छात्रों के लिए एवं समाज के लिए प्रेरणा रूप बन सकता है।
१२. शाला के परिसर या परिसर के आसपास के जो सफल व्यक्ति को कलास रूम में बुलाकर उनके साथ चर्चा करनी चाहिए। गांव के बुजुर्ग दादा-दादी के साथ संवाद करना चाहिए। जिसे दो पेढी का अंतर को हम कम कर सके और उनके अनुभव से कुछ नया सीख सकते है।
१३. बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में स्कूलों के बच्चों के साथ वनस्पति विविधता हरिफाई का आयोजन करना चाहिए। जिससे बच्चे अपने गांव के आसपास के पौधे को पहचान और जिन पौधों की जानकारी नहीं है उन पौधों को गांव के बुजुर्ग लोगों से पूछकर एक पेढी के ज्ञान को दूसरी पेढी में रूपांतर हो जिसकी वजह ज्ञान जीवित रहे।
१४. बच्चे अपने आप सीख सके वैसा साहित्य निर्माण करना चाहिए जिससे DIY (Do It Yourself) कीट होनी चाहिए। जिसके माध्यम से बच्चें पर एक टॉपिक को सीख सिखाता है। स्थानीय भाषा में होनी चाहिए जिसके वजह से बच्चे सीख पाए।
15. स्कूल में जो बच्चे टिफिन बॉक्स लेकर आते है उनका हल्धी टिफिन बनाने का तरीका ढूंढने चाहिए। जिसके वजह से बच्चे कुपोषित न रहे। साथ ही सरकारी स्कूल में जो मिडे मिल बनता है उसके आसपास के वीड जो हल्धी है लेकिन खाने के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है उसको भोजन व्यवस्था में रखना चाहिए।
16. हर एक स्कूल में किचन गार्डन बनाना चाहिए जिसके वजह से बच्चो के मिडडे मिल में फ्रेश सब्जी मिल पाए और बच्चों में भी खेती की थोड़ी समज आये।
17. भावनात्मक और विचारात्मक शिक्षा पर थोड़ा विचार विमर्श करना चाहिए। जिससे अध्यापक और टीचर की जो सोचने की क्षमता है उसमें बढ़ाई हो सेक।
18. जो भी एक्टिविटी करने के लिए परिपत्र जारी होते है वो बहुत अच्छी बात है लेकिन एक्टिवेट करने का जो फॉर्मेट है वो फिक्स नहीं होना चाहिए। जिसके वजह से क्रिएटिविटी दब न जाये। दूसरा अध्यापक को अपनी रचनात्मकता दिखाने का मौका मिल सकता है।
19. अभ्यासक्रम थोड़ा कम करके प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क में ज्यादा महत्व दे। जिसके वजह से बच्चो की सर्जनशीलता बाहर आने की संभावना बढ़ जाये। दूसरा परिवार, समाज और गांव का अभ्यास का भी मॉड्यूल होना चाहिए जिसके वजह से स्थानीय संसाधनों का ज्ञान बढ़ा पाए।
अध्यापक के नवाचार और व्यवस्थापन
(1) विद्यालय का सर्वांगीण विकास
– मेहुल भाई और विक्रम भाई ने मिलकर CSR फंड से तीन करोड़ की बेहतरीन सुविधा वाली प्रायमरी स्कूल बनायी। पूरे स्कूल को डिजिटल कर दिया है। जिसे बच्चे अपने आई कार्ड के QR Code स्कैन कर के स्कूल भी सभी सुविधा उपयोग कर सकते है जिसे सभी चीजों का ऑनलाइन ट्रेक रह सकता है। साथ में टेक्नोलॉजी का उपयोग के बारे में बच्चे अच्छे से सीख भी सकते है।
– अशोक परमार ने पझल के माध्यम से बच्चों को गणित और विज्ञान सीखाते है। जिसे बच्चों में रुचि बढती है, साथ-साथ स्कूल में प्रयोग करने के लिए अलग-अलग तरह के टुल और कार्यप्रणाली विकसित की है। जिसे स्कूल के छात्र और गुजरात के विज्ञान और गणित के अध्यापक इस कार्य कार्य में जुड़े है और इन कार्यप्रणाली का उपयोग करते है।
– दत्तात्रेय वरी सर ने महाराष्ट्र में जीरो एर्नेजी ग्रीन शाला बनाई है। जिस में 800 से अधिक बच्चे पढ़ते है और तीन हज़ार बच्चों का प्रतीक्षा सूची में रहतै है। वहां पर बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अध्यतन टेक्नोलॉजी के बारें में सिखाते है। स्कूल के बच्चे हरएक प्रतियोगिता में प्रथम क्रमांक पर लाने के लिए सभी व्यवस्था स्कूल में खड़ी की है।
(2) शिक्षा में ICT का प्रयोग
– बलदेव परी गोस्वामी ने यूट्यूब के माध्यम से पूरे गुजरात के बच्चों को गणित और विज्ञान ऑनलाइन पढ़ता है। पूरे राज्य के बच्चें जो अच्छे ट्युशन नही कर सकते वो इसमें जुड़ते है। इस विडियो को उपयोग अध्यापक भी करते है और कुछ लोग रिसोर्स मटेरियल के तौर पर उपयोग करते है। बलदेव भाई हर रोज़ 18 घंटे अच्छी गुणवत्तायुक्त डिजिटल सामग्री इकट्ठा करते है।
– इमरान खान ने 50 से ज्यादा एज्युकेशन एप बनाई है। जिसके माध्यम से सभी बच्चे मुफ्त में पढाई कर सकते है। जो बच्चे 10-12 वीं के बाद आगे पढ़ाई के लिए तैयारी करनी है वो सभी के लिए एप्लीकेशन बनायी है। फ्री में सभी एप्लीकेशन उपलब्ध है। एप्लीकेशन के माध्यम से टेस्ट भी दे सकते है और खुद का मूल्यांकन भी कर सकते है।
– दिपकभाई मोठा ने कच्छ में अध्यापक का काम कर रहे है। उन्होंने बारिश में बच्चे नहीं आ सकते है उनके लिए मोटरसाइकिल बेझ शिक्षण रथ बनाया। लेकिन उन्होंने सोचा की शिक्षण का कार्य है वो अविरत चलना चाहिए। इसलिए ATE (Any Time Education) बनाया। इस माध्यम से बच्चे कभी भी सिख सकते है। इसमें जो सॉफ्टवेर है वो अध्यापक ने ओपेनसोर्स रखा है जो कोई भी अध्यापक अपने क्लास रूम में उपयोग कर सकते है।
(3) शिक्षा में TLM का उपयोग
– जिनिशा बहन शाह ने बच्चों के लिए 100 से अधिक TLM बनाया है। जिससे बच्चे अपने अभ्यासक्रम को खेलते खेलते सीख लेते है। दूसरा इस सभी TLM बनाने का वीडियो बनाकर अपनी युट्युब चेनल पर डाला हुआ है। जो टीचर को TLM बनाना है वो इस विडियो के माध्यम से बना सकते है। कोविड़ के दौरान 400 दिन स्कूल बंद रही थी। उस समय हर रोज़ एक एकटीवीटी बच्चों से ऑनलाइन करवाते थे और ऑनलाईन मूल्यांकन करते थे। इस पूरी प्रोसेस का डोक्युमेन्ट करके रखा है की कम संसाधन में हम एकटीवीटी कैसे कर सकते है।
– विभा बहन पटेल ने 300 से अधिक 1 से 5 वीं क्लास में बच्चों के लिए TLM, बाल वार्ता, AR-VR आधारित TLM बनाया है जिससे बच्चों को पढ़ने के रुचि बढ़ती है। साथ ही बच्चों का और माता-पिता का स्कूल के प्रति लगाव बढ़ा है। इसी एक्टिविटी से बच्चों का पियर लर्निंग भी बढी है।
(4) गणित और विज्ञान के लिए नवीन शिक्षण-अधिगम पद्धतियाँ
– प्रहलाद भाई गज्जर के 6-8 कक्षा के बच्चों को विज्ञान को रसप्रद बनाने के लिए पाठ के हिसाब से पेटी बनाई है और उस पेटी में जो पाठ में प्रयोग आते है उस प्रयोग को करने के लिए जो सामग्री चाहिए वह सभी सामग्री इस पेटी में होती है। साथ ही प्रयोग करने की सूची शामिल है। इसके वजह से बच्चे अध्यापक के बिना मदद से सभी प्रयोग अपने आप कर सकते है और अध्यापक को केवल सिद्धांत समझाना पड़ता है। बाकी सारा काम बच्चे अपने आप कर सकते है। वह पेटी प्रयोग शाला के लिए दस हजार खर्च होता है।
– कुमारपाल पटेल ने कार्टून के माध्यम से बच्चों को विज्ञान सीखने का शुरू किया था। बच्चों को पढ़ने में मजा आता था और 200 से भी ज्यादा टीचर ने इसक प्रयोग अपने क्लास रूम में किया है। भारती बहन ने बच्चों को विज्ञान सीखने के लिए अलग-अलग तरह के गाने बनाये है।
– रमणलाल सोनी ने निवृत अध्यापक है। उन्होंने विज्ञान और गणित सीखने के लिए गाने बनाये है और काफी नाटक के माध्यम से भी बच्चों को सिखाया है। साथ में काफी सारे TLM का निवार्ण भी किया है।
(5) स्कूल विकास के लिए सामुदायिक भागीदारी
– राकेश पटेल ने नवानदीसर गांव में सामुदायिक सहयोग से स्कूल को बहेतरीन बनाया है। स्कूल के हरएक पर्व को गांव के लोग एक उत्सव की तरह मनाते है। ग्रामोत्सव के माध्यम से स्कूल को गांव के साथ जोड़ा है और स्कूल नें लोकशाही व्यवस्थापन किस तरह होना चाहिए वो बच्चों ने पूरे देश को सिखाया है। स्कूल की लोकशाही की मिशाल NCERT मे भी शामिल है। स्कूल में जो भी प्रयोग करते है उसका परिणाम अच्छा या पूरे हो तो भी सभी प्रयोग लोगों के साथ साझा करते है। स्कूल में बच्चों को टीचर की गलती निकालने को पूरा अधिकार है। स्कूल का हर एक निर्णय टीचर, एसएमसी और विद्यार्थी मिलकर तय करते है।
– जिज्ञेश भाई गोस्वामी ने अपने स्कूल के बच्चों को गांव के सभी प्रसंग के साथ जुड़ते है। और प्रसंगो के दौरान जब कोई चर्चा होती है तब उसके साथ अपनी स्कूल की समस्या को जोड देते है। जिसके वजह से लोगो को पता चलता है स्कूल मे क्या समस्या है और उसके बाद लोग मिलकर समस्या का समाधान करते है।
(6) नवतर प्रयोग
– प्रति बहन गांधी ने 220 एल्युमिनियम पेटी बनाई। एक पेटी में 20 बुक रखकर मिनी लाइब्रेरी बनाई है। हरएक विद्यार्थी को एक पेटी एक महीने के लिए मिलती है फिर दूसरे महीने पेटी बदल जाती है। उसके वजह से हरएक विद्यार्थी को हरसाल 200 से भी ज्यादा किताब पढ़ने को मिलती है। जिसके वजह से बच्चों की पढ़ने और लिखने की क्षमता भी बढ़ती है। साथ ही साथ घर के माता-पिता ने भी किताब पढ़ा शुरू किया है।
– दिलीप भाई भालगामिया ने अपने स्कूल में बच्चों का हीमोग्लोबिन लेवल बहुत कम था और उसके वजह से काफी सारे बच्चे कुपोषित थे जिसके वजह से पढाई में ध्यान नही दे पाते थे। इस समस्या को हल करने के लिए अलग-अलग दाल बच्चो से मंगवा के स्कूल में अंकुरित किया और यह अंकुरित की हुई दाल बच्चो को सुबह देना शुरू किया। जिसके वजह से बच्चो का हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ गया।
– संदीप गुंड ने लोकोस्ट डिजिटल कलासरूम बनाया है। जहां पर इलेक्ट्रिक सिटी की व्यवस्था नहीं है उस स्कूल में भी लग सके इस तरह का लोकोस्ट डिजिटल क्लासरूम बनाया है। बहुत प्रभावशाली कम खर्च करने वाली तकनीक है। प्रिजीशन फाउंडेशन के माध्यम से 100 अंतराल गांव की स्कूल में डिजिटल क्लास रूप बनाया।
– भावेश पंड्या ने अपने स्कूल में देखा के बच्चों को पढ़ना तो आता है लेकिन बड़े शब्द और मात्रा को समझने में परेशानी होती है। इस परेशानी को हल करने के लिए भावेश भाई ने 1300 वार्ता लिखी है जिसमें बड़े शब्द और मात्रा नहीं है। इसकी वजह से बच्चे अच्छी तरह से पढ सकते है।