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‘तू न अपनी छायाः को Ã Â¤â€¦Ã Â¤ÂªÃ Â¤Â¨Ã Â¥â‚¬  Ã Â¤Â²Ã Â¤Â¿Ã Â¤Â कारा बनाना ‘

थोडा नहीं, जब क्षण हो शांत, Ã Â¤Â¸Ã Â¤Â¾Ã Â¤Â°Ã Â¤Â¾ का सारा  स्नेह बहाना
कोई पूछे, Ã Â¤â€¢Ã Â¥ÂÃ Â¤Â¯Ã Â¥â€šÃ Â¤Â  Ã Â¤Â¨Ã Â¤Â¹Ã Â¥â‚¬Ã Â¤â€š मुड़े पीछे, जब लगायी थी उसने पुकार
न कुछ छुपाना, न कोई बहाना बनाना, बस चलते ही जाना
तू न अपनी छाह को अपनी कारा बनाना
 Ã Â¤Â®Ã Â¥Ë†Ã Â¤Â¨Ã Â¥â€¡ भी भोगा है उन सत्यों को, जिनका वर्णन वर्जित है
लेकिन क्यूँ  उनको  अब निर्मल आत्मा का फटा चोगा बनाना?
तुम शांत हो मुस्कुराओ, अपनी बाहों  में स्वयं सिमट जाओ
जब न बन्ध पाओ, तो किसी के आकाश में बस खुलते जाना
तू न अपनी ………
आज एक बादल ने उड़ान भरी, इन्द्रधनुष Ã Â¤Â¤Ã Â¥â€¹Ã Â¤Â¡Ã Â¤Â¼Ã Â¤Â¾, अरे Ã Â¤â€¢Ã Â¥Å’नसी सौपान चढ़ी
न उसकी चिंता करना, समर्पित श्रद्धाओं का बस एक गीत सुनाना
बीते क्षणों का जिक्र क्यूँ,  Ã Â¤Â¤Ã Â¥ÂÃ Â¤Â® तो अगली सांस को उम्मीदों की सीड़ी बनाना
स्नेह स्पंदन, मन में गुंजन, ऐसे गीतों की माला बना, तुम अब उसको चढ़ाना

Anil K Gupta

admin