झीलों की गहरायी नदिओं का वेग किनारे  पर उगे  पेड़ों की छाँव पत्थरों को तोड़ने का अभिमान सब कुछ बाहर  ही नहीं है, भीतर भी है क्षमा  का अभिप्राय, उसके पैरों में समर्पण बिना हेतु पलायन...
ek unsuni aawaaj: curious,  creative, collaborative and compassionate India (Lok Gyan Manthan Kendra:  people’s knowledge churning centre ) When the  creative common people of a society have to struggle to get recognition, then a sustainable and...
‘तू न अपनी छायाः को Ã Â¤â€¦Ã Â¤ÂªÃ Â¤Â¨Ã Â¥â‚¬  Ã Â¤Â²Ã Â¤Â¿Ã Â¤Â कारा बनाना ‘ थोडा नहीं, जब क्षण हो शांत, Ã Â¤Â¸Ã Â¤Â¾Ã Â¤Â°Ã Â¤Â¾ का सारा  स्नेह बहाना कोई पूछे, Ã Â¤â€¢Ã Â¥ÂÃ Â¤Â¯Ã Â¥â€šÃ Â¤Â  Ã Â¤Â¨Ã Â¤Â¹Ã Â¥â‚¬Ã Â¤â€š मुड़े पीछे, जब लगायी थी उसने पुकार न कुछ छुपाना, न कोई बहाना बनाना, बस चलते...
अत्यनत भीषण है यह Ã Â¤â€¦Ã Â¤â€”्नि इसमे कुछ न कुछ तो Ã Â¤Å“लेगा क्या बचेगा, क्या Ã Â¤Â«Ã Â¥ÂÃ Â¤â€¢Ã Â¥â€¡Ã Â¤â€”ा इसका न कोई वयापार Ã Â¤Â¹Ã Â¥â€¹Ã Â¤â€”ा जाओ निश्चिन्त हो अब क्षुधा Ã Â¤Â­Ã Â¥â€šÃ Â¤Â²Ã Â¥â€¹ न यह अमृत फिर Ã Â¤Â®Ã Â¤Â¿Ã Â¤Â²Ã Â¥â€¡Ã Â¤â€”ा जीवन है दंद्व , अपूर्णता के देवी तुम न मांगो और Ã Â¤â€¢Ã Â¥ÂÃ Â¤â€º...